20-12-69 ओम शान्ति
अव्यक्त
बापदादा
मधुबन
“प्लेन याद से प्लैन्स की सफ़लता”
आज बापदादा क्या देख रहे हैं । क्या देखने और क्या करने आये
हैं?
आज बापदादा अपने अति स्नेही बच्चों से एक
वायदा कराने लिये आये हैं । वायदा करने में तो यह आत्माएं आदि
से ही प्रवीण हैं । जैसे शुरू में वायदा करने में कोई देरी
नहीं की, कुछ सोचा नहीं । इस रीति से
अब भी बापदादा वायदा लेने लिये आये हैं । यूँ तो सारे ड्रामा
में अनेक आत्माओं के बीच तुम आत्मायें ही हिम्मतवान प्रसिद्ध
हुई हो । जो हिम्मत रख बापदादा के समीप रहे और स्नेह भी लिया ।
मदद ली भी और की भी । तो उसी संस्कारों को फिर से टेस्ट करने
आये हैं । एवररेडी तो सभी हैं ना । वायदा यही है कि अभी से सभी
एकता, स्वच्छता,
महीनता, मधुरता और मन,
वाणी, कर्म में महानता
यह 5 बातें एक एक के हर कदम से नजर आवे । सुनाया था ना भट्ठी
के बाद सर्विस स्थानों पर निकले । वह दिन याद है ना । लोग सभी
क्या कहते थे? सभी के मुख से यही
निकलता था कि यह एक ही साचें से निकली हुई हैं । सभी की बात एक
ही है, सभी के रहन-सहन,
सभी के आकर्षण जहाँ देखो वही नजर आता है । वह
किसका प्रभाव पड़ता था? अव्यक्ति पालना
का प्रभाव । व्यक्त में होते हुए भी सभी को अव्यक्त फरिश्ते
नजर आते थे । साधारण रूप में आकर्षण मूर्त और अलौकिक
व्यक्तियों देखने में आते थे । अब फिर से वह जैसे 16 वर्ष की
भट्ठी, यह फिर 16 दिन की भट्ठी । लेकिन
अब से हरेक को यह मालूम पड़ना चाहिए कि यह बदल कर आये हैं,
दुनिया को बदलने के लिये । सारे दैवी परिवार
की इस ग्रुप पर विशेष आश है । तो विशेष आत्माओं को अपनी
विशेषता दिखानी है, कौनसी विशेषता?
वह बातें तो पाँच सुनाई । जब यह 5 बातें हर
संकल्प, हर बोल,
हर कर्म में याद रखेंगे तब ही विशेष आत्माएं
सभी को नजर आयेंगे । जब अपने में विशेषता लायेंगे तब बाप को भी
प्रत्यक्ष कर सकेंगे । अपने सम्पूर्ण संस्कारों से ही बाप को
प्रत्यक्ष कर सकते हो । सिर्फ सर्विस के प्लैन्स से नहीं लेकिन
अपने सम्पूर्ण संस्कारों से, अपनी
सम्पूर्ण शक्ति से बाप को प्रत्यक्ष कर सकते हो ।
भल प्लैन्स तो बनाने पड़ते हैं लेकिन प्लैन्स भी सफलता में तब
आयेंगे जब प्लेन के साथ आपनी लग्न पूरी हो । प्लेन याद हो ।
कोई भी मिक्सचरटी न हो । प्लेन याद से ही सफल हो सकते है ।
प्लेन के पहले चैकिंग करो । प्लेन याद में है । शुरू-शुरू का
वायदा क्या है वह गीत याद है ना,
उसको फिर से साकार रूप में लाना है अर्थात्
बुद्धि की लगन एक तुम्हीं से ही है वह साक्षात्कार साकार रूप
में सभी को होना चाहिए । अब समझ क्या करने आये हो और क्या
देखने आये हो? भाँति-भाँति की बातें
बाबा को अच्छी लगती है । यह रूह-रूहान है । इसमें कोई फेल होते
हैं । अभी तो तुम सभी को फेल करने वाले बन गये हो । फेल होते
नहीं अपने को फेल होने नहीं देते - यह भी ठीक है । लेकिन फील
करते हो । अपनी बात में विजयी बनने का आर्ट सीखना हो तो बच्चों
से सीख सकते हैं । यह सिर्फ थोड़ा सा फ़र्क मिट जाये तो यह सारी
आत्माएं आप सभी के ऊपर मिट जायें । जैसे आप सभी बापदादा के ऊपर
मिट गये । वैसे ही आपके भक्त आप शक्तियों के ऊपर मिट जायें ।
लेकिन सिर्फ यह बातें मिट जायें । जो फील होता है,
यह बात मिट जाये । सभी से समझदार तो निकले जो
फौरन ही सौदा कर लिया । सारी सृष्टि की आत्माओं के आगे
हिम्मवान भी हैं, समझदार भी हैं ।
इसलिए बापदादा कहते हैं सभी से समझदार बच्चों का यह संगठन है ।
हिम्मतवान भी हैं । और भल कितने भी हिम्मत रखे लेकिन यह हिम्मत
तुरन्त दान महापुण्य की जो रखी, ऐसी
हिम्मत अभी कोई रख नहीं सकता । नदियों में तो भल सभी नहाते हैं
लेकिन आप लोगों ने सागर में नहाया है । सागर और नदियों में
नहाना - फर्क तो पड़ता है ना । इसमें तो पास हो ही गई । अभी
बाकी एक बात रह गई है पास होने की । उस एक बात में ऊपर ही
मार्क्स हैं ।
कोई भी डायरेक्शन कभी भी किसी रूप से,
कहाँ के लिये भी निकले और कितने समय में भी
निकल सकता, एक सेकेण्ड में तैयार होने
का डायरेक्शन भी निकल सकता है । तो ऐसे एवररेडी सभी बने हैं?
जैसे अशुद्ध प्रवृत्ति को छोड़ने के लिये कोई
बात सोची क्या? जेवर,
कपड़े, बाल-बच्चे आदि
कुछ भी नहीं देखा ना । तो यह जैसे पवित्र प्रवृत्ति है इसमें
फिर यह बातें देखने की क्या आवश्यकता है । आगे सिर्फ स्नेह में
थे । स्नेह से यह सभी किया । ज्ञान से नहीं । सिर्फ स्नेह ने
ऐसा एवररेडी बनाया । अब स्नेह के साथ शक्ति भी है । स्नेह और
शक्ति होते हुए भी फिर इसमें एवररेडी बनने में देरी क्यों ।
जैसे शुरू में एलान निकला कि सभी को इस घड़ी मैदान में आना है
वैसे अब भी रिपीट जरूर होना है लेकिन भिन्न-भिन्न रूप में ।
ऐसे नहीं कि बापदादा भविष्य को जानकर के आप सभी को एलान देवे
और आप इस सर्विस के बन्धन में भी अपने को बांधे हुए रखो ।
बन्धन होते हुए भी बन्धन में नहीं रहना है । कोई भी आत्मा के
बन्धन में आना यह निर्बन्धन की निशानी नहीं है । इसलिए सभी को
एक बात पास विद आनर्स की पास करनी है,
जो बातें आपके ध्यान में भी नहीं होंगी,
स्वप्न में भी नहीं होंगी उन बातों का एलान
निकलना है । और ऐसे पेपर में जो पास होंगे वही पास विद आनर्स
होंगे । इसलिये पहले से ही सुना रहे हैं । पहले से ही ईशारा
मिल रहा है । इसको कहा जाता है - महीनता में जाना । जो महीन
बुद्धि होंगे उनकी विशेषता क्या होगी?
महीन बुद्धि वाले कैसी भी परिस्थिति में अपने को मोल्ड कर
सकेंगे । जैसी परिस्थिति उसमें अपने को मोल्ड कर सकेंगे ।
सामना करने का उनमें साहस होगा वह कभी घबरायेंगे नहीं । लेकिन
उसकी गहराई में जाकर अपने को उसी रीति चलायेंगे । तो जब हल्के
होंगे तब ही मोल्ड हो सकेंगे । नर्म और गर्म दोनों ही होंगे तब
मोल्ड होंगे । एक की भी कमी होगी तो मोल्ड नहीं हो सकेंगे ।
कोई भी चीज़ को गर्म कर नर्म किया जाता है । फिर मोल्ड किया
जाता है । यहाँ कौनसी नर्माई और गर्माई है । नर्माई है
निर्माणता, गर्माई है - शक्ति रूप ।
निर्माणता अर्थात् स्नेह रूप । जिसमें हर आत्मा प्रति स्नेह
होगा वही निर्माणता में रह सकेंगे । स्नेह नहीं है तो न रहमदिल
बन सकेंगे न नम्रचित । इसलिए निर्माणता और फिर शक्ति रूप
अर्थात् जितनी निर्माणता उतना ही - फिर मालिकपना । शक्तिरूप
में है मालिकपना और नम्रता में सेवागुण । सेवा भी और मालिकपना
भी । सेवाधारी भी हो और विश्व के मालिकपने का नशा भी हो । जब
यह नर्माई और गर्माई दोनों रहेंगे तब हर बात में मोल्ड हो
सकेंगे । हरेक को यह देखना है कि हमारी बुद्धि की तराजू गर्म
और नर्म दोनों में एक समान रहती है । कहाँ-कहाँ अति निर्माणता
भी नुकसान करती है और कहाँ अति मालिकपना भी नुकसान करता है,
इसलिए दोनों की समानता चाहिए । जितनी समानता
होगी उतनी महानता भी । अब समझा कि किस एक बात में पास विद आनर
होंगे? यह फाइनल पेपर का पहले एनाउस कर
रहे है । हर समय निर्बन्धन । सर्विस के बन्धन से भी निर्बन्धन
। एलान निकले और एवररेडी बन मैदान पर आ पहुँचा । यह फाइनल पेपर
है जो समय पर निकलेगा - प्रैक्टिकल में । इस पेपर में अगर पास
हो गये तो और कोई बड़ी बात नहीं । इस पेपर में पास होंगे
अर्थात् अव्यक्त स्थिति होगी । शरीर के भान से भी परे हुए तो
बाकी क्या बड़ी बात है । इससे ही परखेगे कि कहाँ तपन अपने उस
जीवन की नईया की रस्सियाँ छोडी है । एक है सोने की जंजीर दूसरी
है लोहे की । लोहे की जंजीर तो छोडी लेकिन अब सोने की भी महीन
जंजीर है । यह फिर ऐसी है जो कोई को देखने में भी आ न सके ।
इसलिये जैसे कोई भी बन्धन से मुक्त होते वैसे ही सहज रीति शरीर
के बन्धन से मुक्त हो सके,
नहीं तो शरीर के बन्धन से भी बड़ा मुश्किल
मुक्त होंगे । फाइनल पेपर है अन्त मती सो गति । अन्त में सहज
रीति शरीर के भान से मुक्त हो जाये यह है पास विद आनर की
निशानी । लेकिन वह तब हो सकेगी जब अपना चोला टाइट नहीं होगा ।
अगर टाइटनेस होगी तो सहज मुक्त नहीं हो सकेंगे । टाइटनेस का
अर्थ है कोई से लगाव । इसलिए अब यही सिर्फ एक बात चेक करो -
ऐसा लूज़ चोला हुआ है जो एक सेकेण्ड में इस चोले को छोड़ सके।
अगर कहाँ भी अटका हुआ होगा तो निकलने में भी अटक होगी । इसी को
ही एवररेडी कहा जाता है । ऐसे एवररेडी वही होंगे जो हर बात में
एवररेडी होंगे । प्रैक्टिकल में देखा ना एक सेकेण्ड के बुलावे
पर एवररेडी रह दिखाया । यह सोचा क्या कि बच्चे क्या कहेंगे?
बच्चों से बिगर मिले कैसे जावे - यह सोचा?
एलान निकला और एवररेडी । चोले से इज़ी होने से
चोला छोड़ना भी इज़ी होता है, इसलिए यह
कोशिश हर वक्त करनी चाहिए । यही संगमयुग का गायन होगा कि कैसे
रहते हुए भी न्यारे थे । तब ही एक सेकेण्ड में न्यारे हो गये ।
बहुत समय से न्यारे रहने वाले एक सेकेण्ड में न्यारे हो
जायेंगे । बहुत समय से न्यारापन नहीं होगा तो यही शरीर का
प्यार पश्चाताप में लायेगा इसलिए इनसे भी प्यारा नहीं बनना है
। इससे जितना न्यारा होंगे उतना ही विश्व का प्यारा बनेंगे ।
इसलिए अब यही पुरुषार्थ करना है, ऐसे
नहीं समझना है कि कोई व्याधि आदि का रूप देखने में आयेगा तब
जायेंगे उस समय अपने को ठीक कर देंगे । ऐसी कोई बात नहीं है
पीछे ऐसे-ऐसे अनोखे मृत्यु बच्चों के होने हैं जो सन शोज फादर
करेंगे । सभी का एक जैसा नहीं होगा । कई ऐसे बच्चे भी हैं
जिन्हों का ड्रामा के अन्दर इस मृत्यु के अनोखे पार्ट का गायन
सन शोज फादर करेगा । यह भी वही कर सकेंगे जिसमें एक विशेष गुण
होगा । यह पार्ट भी बहुत थोड़ों का है । अन्त तक भी बाप की
प्रत्यक्षता करते जायेंगे । यह भी बहुत बड़ी सब्जेक्ट है । अन्त
घड़ी भी बाप का शो होता रहेगा । ऐसी आत्मायें जरूर कोई पावरफुल
होगी जिनका बहुत समय से अशरीरी रहने का अभ्यास होगा । वह एक
सेकेण्ड में अशरीरी हो जायेंगे । मानो अभी आप याद में बैठते हो
कैसे भी विघ्नों की अवस्था में बैठते हो,
कैसी भी परिस्थितियाँ सामने होते हुए भी बैठते
हो लेकिन एक सेकेण्ड में सोचा और अशरीरी हो जाये । वैसे तो एक
सेकेण्ड में अशरीरी होना बहुत सहज है लेकिन जिस समय कोई बात
सामने हो, कोई सर्विस के बहुत झंझट
सामने हो परन्तु प्रैक्टिस ऐसी होनी चाहिए जो एक सेकेण्ड,
सेकेण्ड भी बहुत है,
सोचना और करना साथ-साथ चले । सोचने के बाद पुरुषार्थ न करना
पड़े । अभी तो आप सोचते हो तब उस अवस्था में स्थित होते हो
लेकिन ऐसा जो होगा उनका सोचना और स्थित होना साथ में होगा ।
सोच और स्थिति में फर्क नहीं होगा । सोचा और हुआ । ऐसे जो
अभ्यासी होंगे वही सर्विस करने का पान का बीड़ा उठा सकेंगे ।
ऐसे कोई निमित्त है लेकिन बहुत थोड़े,
मैजारिटी नहीं हैं । मैनारिटी है,
उन्हीं के ऊपर यहाँ ही फूल बरसायेंगे । ऐसे जो पास विथ आनर
होंगे, उन्हीं के ऊपर जो द्वापर के
भक्त हैं वह अन्त में इस साकार रूप में फूलों की वर्षा करेंगे
। जो अन्त तक सन शोज फादर करके ही जायेंगे । ऐसा सर्विसप्लल
मृत्यु होता है । इस मृत्यु से भी सर्विस होती है । सर्विस के
प्रति बच्चे ही निमित्त है, ना कि माँ
बाप । वह तो गुप्त रुप में हैं । सर्विस में मात- पिता बैकबोन
है और बच्चे सामने हैं । इस सर्विस के पार्ट में मात-पिता का
पार्ट नहीं है । इस में बच्चे ही बाप का शो करेंगे । यह भी
सर्विस का अन्त में मैडल प्राप्त होता है,
ऐसा मैडल ड्रामा में कोई बच्चों को मिलना है ।
अभी हरेक अपने आप से जज करे कि हम ऐसा मैडल प्राप्त करने लिए
निमित्त बन सकते हैं?
ऐसे नहीं सिर्फ पुरानी बहने ही बन सकेगी । कोई भी बन सकते हैं
। नये-नये रत्न भी हैं जो कमाल कर दिखायेंगे ।
अभी सर्विस में नवीनता लानी है । जैसे अपने में नवीनता लाते हो
वैसे सर्विस में भी नवीनता लानी है । नवीनता लाने की 5 बातें
याद रखनी हैं । सभी के मुख से यह निकले कि यह कहाँ से आई है ।
जैसे शुरू में निकलता था,
परन्तु शुरू में वाणी का बल नहीं था अभी तुमको
वाणी का बल है । लेकिन अलौकिक स्थिति का बल गुप्त हो गया है ।
छिप गया है । इसलिए अब फिर से ऐसी अलौकिकता सभी को दिखानी है
जो सभी महसूस करे कि जैसे शुरू में भट्ठी से निकली हुई
आत्मायें कितनी सेवा के निमित्त बनी,
अब फिर से सृष्टि के दृश्य को चेंज करने के निमित्त बनी है ।
उनसे अभी की सर्विस बड़ी है । तो ऐसी शक्तिरूप और स्नेह रूप बन
जाना है । कितने भी हजारों के बीच खड़े हो तो भी दूर से अलौकिक
व्यक्ति नजर आओ । जैसे साकार रूप के लिए वर्णन करते है,
कोई भी अन्जान समझ सकता था कि यह कोई अलौकिक
व्यक्ति है । हजारों के बीच में वह हीरा चमकता था । तो फालो
फादर । उन्हीं के वायब्रेशन अपने में नहीं लाना,
अपने वायब्रेशन से उन्हों को अलौकिक बनाना -
यही नवीनता लानी है । अभी सर्विस के कारण कुछ संसारी लोगों में
मिक्स लगते हैं । सर्विस के प्रति सम्बन्ध में रहते भी न्यारे
रहने का जो मन्त्र है - उसको नहीं भूलना । अभी वह सम्बन्ध जो
रखना था सो रख लिया, अभी इस रीति
सम्बन्ध रखने की भी आवश्यकता नहीं । सर्विस कारण अपने को हल्का
करने की भी जरूरत नहीं । वह समय बीत चुका । अभी लौकिक के बीच
अलौकिक नजर आओ । अनेक व्यक्तियों के बीच अव्यक्त मूर्त लगे ।
वह व्यक्त देखने में आये, आप - अव्यक्त
देखने में आओ यह है परिवर्तन । शुरू में कोई के वायब्रेशन अथवा
संग में अपने में परिवर्तन लाते थे,
इसलिए कहते थे ब्रह्माकुमारी में हठ बहुत है लेकिन वह हठ अच्छा
था ना । यह है ईश्वरीय हठ, इसलिए अब
वायब्रेशन के बीच रहते अपने को न्यारा और प्यारा बनाना है ।
इतनी सर्विस नहीं करेंगे? सिर्फ वाणी
से कुर्बान नहीं होते । आप लोगों ने कैसे कुर्बानी की?
आन्तरिक आत्मस्नेह से । प्रजा तो बहुत बनाई
लेकिन अब कुर्बान करना है । यह सर्विस रही हुई है । वारिस कम
और प्रजा ज्यादा बनाई है । क्योंकि वाणी से प्रजा बनती है
लेकिन ईश्वरीय स्नेह और शक्ति से वारिस बनते हैं,
तो वारिस बनाने है । यह फर्स्ट स्टेज का
पुरुषार्थ है । वाणी से किसी को पानी नहीं कर सकते लेकिन स्नेह
और शक्ति से एक सेकेण्ड में स्वाहा करा सकते है । यह भी अन्त
में मार्क्स मिलते हैं । वारिस कितने बनाये प्रजा कितनी बनाई ।
वारिस भी किस वैराइटी और प्रजा भी किस वैराइटी की और कितने समय
में बने । फाइनल पेपर आज सुना रहे हैं । किस-किस क्वेश्चन पर
मार्क्स मिलते है एक तो यह क्वेश्चन अन्तिम रिजल्ट में होगा
दूसरा सुनाया अन्त तक सर्विस का शो । और तीसरी बात थी आदि से
अन्त तक जो अवस्था चलती आई है उसमें कितना बारी फेल हुए है,
पूरा पोतामेल एनाउन्स होगा । कितने बारी विजयी
बने और कितने बारी फेल हुए और विजय प्राप्त की तो कितने समय
में? कोई भी समस्या को सामना करने में
कितना समय लगा? उनकी भी मार्क्स मिलेगी
। तो सारे जीवन की सर्विस और स्वस्थिति और अन्त तक सर्विस का
सबूत यह तीन बातें देखी जाती हैं ।
यहाँ भी हर एक एक दो के सामने स्पष्ट देखेंगे कि इन तीन बातों
का क्या-क्या पोतामेल रहा है?
और उनको सामने लाकर के अपनी रिजल्ट को भी पहले
से ही चेक कर सकते हो और जो कमी रह गई है,
उनको रिवाइज कर पूर्ण कर सकते हो । अभी भी अगर
इन बातों की कमी हो तो भर लो । मेकप कर सकते हो । आधा घण्टा
में भी गाडी मेकप हो जाती है । जो 6 घण्टा भी नहीं चलते वह आधा
घण्टा में हो जाते है । इसलिए अब मेकप करने का लास्ट चान्स है
। अब रिजल्ट देखेंगे । जैसे शुरू से समाचार आते थे कि कितनी
ऊँच आत्मायें हमारे पास आ पहुँची हैं । ऐसा समाचार फिर से आना
चाहिए । भट्ठी का अर्थ ही है बदलना ।
अच्छा
!!!